कविता

कविता

राजश्री साहित्य अकादमी

दैनिक सृजन

आपरेशन सिंदूर

भारत के वीर जवानों ने, शत्रु को धूल चटाई
मध्य रात्रि के बाद दो बजे, उन पर करी चढ़ाई।

भाग रहे हैं जान बचाकर, उनके सभी सिपाही
याद आ रहा है उन सबको, अब दीन-ए-इलाही।
चारों ओर ही दिख रही है, यानों की परछाई
भारत के वीर जवानों ने, शत्रु को धूल चटाई।

समझा पाक को मीत हमने, निकला सांप सपोला
प्यार हमारे को भी उसने, नफ़रत से है तोला।
धर्म पूछकर मारी गोली, हमसे की चतुराई
भारत के वीर जवानों ने, शत्रु को धूल चटाई।

किया सामना भारत का तो, बाप सामने पाया
टेक दिए थे घुटने तुमने, ख़ुदा याद तब आया।
टुकड़े हुए पाक तुम्हारे, मुंह की तुमने खाई
भारत के वीर जवानों ने, शत्रु को धूल चटाई।

मिट जाएगी विश्व धरा से, तेरी प्रेम निशानी
पहलगाम में कर दी तुमने, फिर से ये नादानी।
आतंकवादी गढ़ पर हमने, गोली है बरसाई
भारत के वीर जवानों ने, शत्रु को धूल चटाई।

सिंदूर का मतलब समझाया, तुम पर ही बरसाकर
लाल लाल होता है भैया, तुम पर ही दर्शा कर।
रक्त पिपासु सुन ले थोड़ा, कर ले अब भरपाई
भारत के वीर जवानों ने, शत्रु को धूल चटाई।

रचयिता
श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’मालपुरा