कविता भाव

कविता भाव

भाव

आँखों में शर्म और भावों में सच्चे कर्म रखते हैं,
चेहरे पर मासूमियत और विचारों में धर्म रखते हैं,
अपनों को अपना बनाये रखने के लिए हम,
रीति-नीति-जज्बातों को सदा नरम रखते हैं।।

रचयिता

मुकेश कुमावत ‘मंगल’

टोंक

चित्र उत्पत्ति

चैट जीपीटी

प्रस्तुति