त्याग प्रतिरूप नारी
ममता स्वरूप नारी
भाव बहुरूप नारी
नारी ही संसार है ।
गीत में है राग नारी
फूल में पराग नारी
स्नेह अनुराग नारी
नारी ही शृंगार है।
भक्ति में है मीरा नारी
शक्ति में है सिंहधारी
वाम भाग अधिकारी
नारी करतार है।
नारी के अनेक भाव
नारी ही है धूप छाँव
हृदय के मनोभाव
नारी प्रेम सार है
रचयिता
dAyA shArmA