भूमिका
मुक्तक, काव्य या कविता का एक प्रकार है जिसमें प्रबंधकीयता नहीं होती। मुक्तक में किसी एक भाव, विचार, या अनुभव को व्यक्त किया जाता है, जैसे कि निम्न उदाहरणों में। इसमें छंद की बाध्यता नहीं होती, इसलिए कवि अपनी रचनात्मकता के अनुसार इसे किसी भी रूप में लिख सकता है।
🙏🏻मुक्तक🙏🏻
समय एक दिन गीत तुम्हारे गाएगा जरूर।
तोड़ सितारे आसमान से लाएगा जरूर।
बीते वर्ष की अच्छी यादें साथ लिए चल तू,
नया वर्ष भी खुशियाँ ले के आएगा जरूर।
तू निकल निराशा, नीरवता अपवाद से।
नेह के नाते जोड़ मधुर संवाद से।
जीवित रखना भीतर अपने मानवता,
पोषित करते रहना प्रेम की खाद से।
शब्दों के शूल बिछे तब भाषा मौन हो गई।
दुर्गन्ध द्वेष से प्रेम सुहासा मौन हो गई।
देशप्रेम के भाव की गागर देख के रीती,
पुष्प के भीतर की अभिलाषा मौन हो गई।
टूट रही हैं मर्यादाएँ मानव भाषा की।
घनघोर घटाएँ घिर रही हैं घोर निराशा की।
उत्तर मांग रहा है हमसे आने वाला वर्ष,
प्रश्न अधूरे खड़े क्यों चादर ओढ़ दिलासा की।
ममता मंजुला ✍🏻
टोंक (राजस्थान)