शादी की चालीस्वीं पावन वर्षगाँठ
प्रिय अशोक और सौ० संगीता (बबली) की शादी की चालीस्वीं पावन वर्षगाँठ पर चाचा कृष्ण के आशीषों की गठरी
बिटिया बबली और अशोक की वर्षगाँठ शादी की आई।
आज मुझे तो मधुर स्वरों की बजती दिखती है शहनाई।
सात फेरों के सात वचन ये दिन आकर याद दिलाता ।
स्नेह ऊर्जा पावन दिन ये जीवन में फिर से भर जाता।
देवलोक से मम्मी-पापा आशीषों की झड़ी लगाते।
सुख से अपना जीवन जियो ईश्वर से कृपा दिलवाते।
देख रही चाची भी वहाँ से देती है आशीष मनोहर।
ऋद्धि-सिद्धि सुख-समृद्धि से भरा रहे बस गुडिया को घर
‘पल्लवी’ का पल्लू थामे ‘उमंग’ सदा ही उमंग बिखेरे।
प्यारी ‘गुंजन’ नितिन संग नित-नित नूतन गूंज बिखेरे।
‘कियान’ ‘सुवानी’ दोनों बच्चे नाना-नानी से जिद करते।
उपहारों से आज स्वयं ही दिख जाते हैं झोली भरते।
चाचा इन दोनों से केवल बात करें यह आस लगाता।
स्वर सुनने को मोबाइल से नहीं स्वयं के कान हटाता।
चाचा नहीं आज ही केवल सदा अशीषी गठरी देते।
यदि कोई दुख बदरी आवे इन पर नहीं बरसने देते।
वर्षगाँठ शादी की पावन शतवर्षी जीवन में आवे।
शतवर्षी जब मने गांठ ये याद इन्हें चाचा की आये।
जीवन हो सुखमय ही हर पल हर्षित हो सबको हर्षाओ।
कष्ट दूसरों का भी भरसक निज जीवन में हरते पाओ।
दिनांक 29.04.2025
सृजक
चाचा ‘कृष्ण’
देहरादून
प्रस्तुति