मनसा देवी त्रासदी

मनसा देवी त्रासदी

मनसा देवी त्रासदी, हरिद्वार
(दिनांक 27.07.25 के हादसे पर)

इतनी कैसे मौतें हो गईं माँ तेरे दरबार में।
कैसे कमी हुई भक्तों की मैया तेरे प्यार में।

दूर दूर से तुझे पूजने भक्त सदा ही आते हैं।
आते-जाते मैया तेरा जयकारा सब गाते हैं।
तेरी कृपा उन पर बरसे तुझसे आस लगाते हैं।
फिर बतलाओ तेरे दर पर मौत वो कैसे पाते हैं?
कैसे छुपकर मौत बैठ गई वहाँ बिजली के तार में।
कैसे कमी हुई भक्तों की मैया तेरे प्यार में।।१।।

मैया तू तो बड़ी द‌यालु सबके मन की पढ़ती है।
केवल श्रद्धा ही तो मैया तेरी सीढ़ी चढ़ती है।
ऊँची चोटी पर तू बैठी भक्तों की तू ही रक्षक!
तू रक्षक है मौत वहाँ फिर कैसे बन बैठी भक्षक।
तेरे द्वारे नहाकर आते सब गंगा की धार में।
कैसे कमी हुई भक्तों की मैया तेरे प्यार में।।२।।

मैया हम पर सदा-सदा ही तू कृपा बरसाती है।
उस ममता के आगे कैसे मौत खड़ी हो जाती है?
तू चाहे तो तेरे अंगना मौत कभी न आ सकती ।
बिना समय ही मौत वहाँ पर नहीं किसी को खा सकती।
मैया तू उपकारी कैसे कमी हुई उपकार में?
कैसे कमी हुई भक्तों की मैया तेरे प्यार में।।३।।

अपने कर्मों का फल मानव भैया निश्चित भरता है।
जब भी समय आयेगा माता वह निश्चित ही मरता है।
फिर बतला तू अपने सिर पर क्यूँ बदनामी लेती है?
प्रांगण से पहले ही मृत्यु रोक नहीं क्यूँ देती है?
मैया ऐसा कर दे जो नहिं मौत आये दरबार में।
कैसे कमी हुई भक्तों की मैया तेरे प्यार में।।४।।

रचनाकार

श्री कृष्णदत्त शर्मा ‘कृष्ण’

प्रस्तुति