मर्द को दर्द नहीं होता?
झूठ कहते हैं ज़माने वाले,
कि मर्द को दर्द नहीं होता।
हकीकत में वो भी तो इंसान होता है,
चोट भी लगती है औ दर्द भी होता है।
ये अलग बात है कि वो अकेले में,
आँसू बहाता है औरतों की तरह सरे-आम नहीं रोता।
उसके भी ख्वाब टूटते है दिल रोता है मगर,
सबके सामने दुःख अपना बयाँ नहीं करता।
वो सबके लिये जीता है मगर,
कोई उसके लिए फ़िक्रमंद नहीं होता।
वो तमाम उम्र ख़ुद की नहीं,
औरों की फ़िक्र में जिया करता है।
कोई उसकी परवाह करे ना करे वो,
सबकी ख्वाइशों को पूरी करता है।
पत्थर नहीं है वो उसमें भी दिल बसता है,
मगर वो किसी से शिकवा-शिकायत नहीं करता।
वो अपना हाल नहीं बताता किसी को,
मगर ऐसा नहीं है कि वो मुहब्बत नहीं करता।
प्रतिशोध अभी बाकी है
प्रतिशोध अभी बाकी है,
अभी तो मन में ये ज्वाला जागी है।
अभी भी नहीं सुधर पाए वो,
धूर्तता अभी भी उनमें बाकी है।
सदियाँ बीत गईं लहू गिराते हुए,
सिसक रही है जमीं नीर बहाते हुए।
अभी भी क्या नर- भक्षी ही है वो,
अभी तक क्या उनमें मानवता नहीं जागी है?
मां की कोख को शर्मसार कर रहे हैं,
आखिर उन्हीं के अपने भी तो मर रहे हैं।
क्यों नहीं अफसोस उनको हो रहा?
क्या? उनकी आत्मा अब तलक ना जागी है।
रक्षा बंधन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
🎉💕👫🕊️
💖मेरा भाई
मत पूछना कोई मेरा भाई क्या अहमियत रखता है मेरे लिए,
वो रिश्तों में सबसे अजीज है बेशकीमती है मेरे लिए।
हर खुशी हर गम में
मेरे साथ खड़ा पाया है उसको,
शायद भगवान ने बहुत मजबूत बनाया है उसको।
तभी तो कहता है मुझे कि
डरना मत किसी गम के तूफ़ाँ से
मेरी बहना,
मेरे भाई सदा इसी तरह मेरे साथ
हर हाल में खड़े रहना।
एक भाई बहन का रिश्ता ही तो है
जिसमें कोई स्वार्थ नहीं होता।
जिन रिश्तों में स्वार्थ शामिल हो
उन रिश्तों का कोई अर्थ नहीं होता।
रचनाकार
माया शर्मा/स्वरचित
प्रस्तुति