स्मृतियाँ
बालपन की स्मृतियों के साथ काव्य रचना

स्मृतियाँ

अपनी उलझनों को सुलझाऊँ कैसे?

बताओ न डैडी आपको बुलाऊँ कैसे?

मेरे चेहरे में दिखता आपका अक्स है, अपने ही चेहरे को भूल जाऊं कैसे?

बताओ न डैडी आपको बुलाऊँ कैसे?

दिया वो सब कुछ जो था आपके पास, अब आपसे अपनी जिद मनवाऊँ कैसे?

आ जाओ न डैडी, आपको बुलाऊँ कैसे?

पैरों पर तो खड़ी हूं आपके आशीर्वाद से, बिन आपके अब नया कदम उठाऊँ कैसे, बताओ न डैडी आपको बुलाऊँ कैसे?

हर फर्ज आपने पूरा किया हमारे लिए, अब बारी मेरी थी वो अब चुकाऊँ कैसे?

बताओ न डैडी आपको भूल जाऊँ कैसे?

ताकत हो आप मेरी, मेरा अभिमान हो, कशमकश को अपनी अब अकेले सुलझाऊँ कैसे?

बताओ न डैडी आपको बुलाऊँ कैसे?

“एक बार आ जाओ न डैडी अब आपको बुलाऊँ कैसे?”

बालपन की स्मृतियों के साथ काव्य रचना

रचनाकार

शिक्षिका शालिनी चौहान

चित्र सृजन

गूगल

प्रस्तुति