मुक्तक
गीदड़ की सीमा में घुसकर सिंह दहाड़ेगा।
चुन-चुन आतंकी कुत्तों की, छाती फाड़ेगा।
धर्म पूछकर उसके घर की बेटी विधवा की,
सिंदूर उजाड़ा उसने अब, ‘सिंदूर’ उजाड़ेगा।।
रचयिता
ममता मञ्जुला ✍🏻
प्रस्तुति
गीदड़ की सीमा में घुसकर सिंह दहाड़ेगा।
चुन-चुन आतंकी कुत्तों की, छाती फाड़ेगा।
धर्म पूछकर उसके घर की बेटी विधवा की,
सिंदूर उजाड़ा उसने अब, ‘सिंदूर’ उजाड़ेगा।।
रचयिता
ममता मञ्जुला ✍🏻
प्रस्तुति