नया साल नई उमंगता,
मन में भरता नव उत्साह।
बीती बातें सोच नवीन,
आया नूतन वर्ष वाह-वाह!!
उत्सुकता से स्वागत करते,
एक दूजे को देवे बधाई।
घर-घर में पकवान बनाते,
बीते साल की करे विदाई।।
सड़कों और चौराहों पर,
गलियों और चौबारों पर।
करे रोशनी घर द्वारों पर,
मन मेल मिटे त्योहारों पर।।
पल-पल बीता साल पुराना,
देता सबको नज़राना।
भूल-चूक में हुई गलतियां,
उन्हें फिर से ना दोहराना।।
आपस में हिल-मिल कर रहना,
एक दूजे का हो सत्कार।
सुख-दु:ख में सब हाथ बटाना,
कभी ना करना तुम इनकार।।
सुख-दु:ख में अपने-पराए की,
पहचान हमेशा होती है।
जो देय समय पर साथ भला,
भली उसमें मानवता होती है।।
रचनाकार
‘नायक’ बाबूलाल नायक
चित्रांकन
चैट जीपीटी और कैनवा
प्रस्तुति