गणेश चतुर्थी पर
भारतीय परंपराएं एवं संस्कृति

गणेश चतुर्थी पर

गणेश चतुर्थी

गजानन गणेश जी,
पधारो मेरे घर-द्वार।
मोदक का भोग लगाऊँ,
खूब करूँ थांकि मनुहार।

रिद्धि-सिद्धि के दाता,
सबसे पहले करूँ श्रीगणेश।
पार्वती है जिनकी माता,
पिता त्रिलोकीनाथ महेश।

मूषक की कर सवारी,
सब देवों में है भारी।
भक्तों की हर लेते हैं,
हर परेशानी सारी।

गणेश चतुर्थी पर्व खास,
मनाते खूब हर्षोल्लास।
लगा चूरमा का भोग,
खुश रहें सभी करें आस।

त्रिनेत्र गणेश जी विराजें,
रणथंभौर माधोपुर में।
तांता लगे यात्रियों का,
रणथंभौर के किले मे।

विश्वप्रसिद्ध हैं,
त्रिनेत्र गणेश जी महाराज।
करते हैं कामना पुरी,
गणेश जी महाराज।

चारों ओर धूम रहती है,
गणपति बप्पा मोरिया।
युवा, महिला, वृद्ध सारे,
बोले गणपति बप्पा मोरया।

गणेश विसर्जन के साथ,
संपन्न होवें गणेशोत्सव।
सब उत्सवों में भारी,
यह गणेशोत्सव।

गजानन गणपति,
अनेक हैं इनके नाम।
भक्तों का हर लेते हैं,
सारे दु:ख क्लेश तमाम।

हर वर्ष की भाँति,
फिर गणेश चतुर्थी आई।
घर, मोहल्ले गांव में,
सबके मन में मस्ती छाई।

रचनाकार

हंसराज हंस

प्रस्तुति

Courtesy

हंसराज हंस
टोंक राजस्थान।