।।परीक्षा का समय।।
परीक्षा रो टाइम आग्यो रे,
पढ़बा में मन अब लाग्यो रे,
खुद रा नोट्स बनावा जी,
पढ़बा में समय लगावा जी,
अब तो कलम उठावा जी,
अब खाना कम ही खावा जी,
मेहनत स्यू भाग्य बण्याओं रे।
परीक्षा रो टाइम आग्यो रे ….
गुरूजना रा ज्ञान पावा जी,
स्वजना रा मान बढ़ावा जी,
उठने रा अलार्म लगावा जी,
पढ़बा में अब बुद्धि लगावा जी,
मेहनत स्यू सफलता पायो रे,
परीक्षा रो टाइम आग्यो रे …
एक-एक टाॅंपिक ने खोला जी,
लिख-लिखकर फिर-फिर बोला जी,
मां. शि. बो.रा ब्लू प्रिंट ने तोला जी,
माता सरस्वती रा नाम बोला जी,
मेहनत स्यू माॅं बाप सपनों सजायो रे,
परीक्षा रो टाइम आग्यो रे….
अब तो लक्ष्य,उद्देश्य बणावा जी,
अब तो टेबिल,कुर्सी सजावा जी,
अच्छी नम्बर,प्रतिशत बणावा जी,
अब तो ऊॅंचे-ऊॅंचे पद सजावा जी,
पढ़ लिख समाज में नाम कमायो रे,
परीक्षा रो टाइम आग्यो रे।।।
कवि मुकेश कुमावत ‘मंगल’
टोंक (राजस्थान)