कविता

कविता

तुमसे है सौभाग्य पिया जी

मुखड़ा

तुमसे है सौभाग्य पिया जी, जीवन बना श्रृंगार।

दीप बने तुम जीवन के जब, उजियारा है अपार।।

नयन बसी प्रीत की भाषा, मन-मंदिर रहे प्यार।

तुमसे है सौभाग्य पिया जी, जीवन बना श्रृंगार।।

अंतरा एक 

थाम लिया है हाथ तुम्हारा, जग से फिर क्या डरना ।

सुख-दुख में हम साथ रहेंगे, संग-संग ही चलना ।।

प्रीत तुम्हारी छाया बनकर, करती हर व्यवहार ।

तुमसे है सौभाग्य पिया जी, जीवन बना श्रृंगार ।।

अंतरा दो 

ज्योति बने सिन्दूर तुम्हारा, मंगल गीत सुनाए ।

हर संकट में रूप तुम्हारा, संबल बनकर आए ।।

तुम बिन सूना आँगन मेरा, तुझसे छाए बहार ।

तुमसे है सौभाग्य पिया जी, जीवन बना श्रृंगार ।।

अंतरा तीन

जब-जब मैं दर्पण में देखूँ, बिंदिया चाँद सी दमके ।

मधुर राग साँसों में गूँजे, मन पंछी बन चहके ।।

तेरी छवि ही सजे हृदय में, यही जीवन आधार ।

तुमसे है सौभाग्य पिया जी, जीवन बना श्रृंगार ।।

अंतरा चार

साथ तुम्हारे बीते हर पल, मधुर गीत बन जाएँ ।

तेरी एक झलक को पाकर, हृदय कमल खिल जाएँ ।।

हर पल संग बिताया जीवन, रागिनीमय संसार।

तुमसे है सौभाग्य पिया जी, जीवन बना श्रृंगार ।।

रचनाकार

डाॅ.छाया शर्मा, अजमेर, राजस्थान

प्रस्तुति