यह कलियुग ही तो है
कलियुग ही तो है यह जिसमें इंसान रुलाए जाते हैं
जिंदा जानवर मारकर प्लेटों में सजाए जाते हैं।
कलियुग ही तो है यह जिसमें मां-बाप सताए जाते हैं
बुढ़ापे में वृद्धाश्रम छोड़ आए जाते हैं।
कलियुग ही तो है यह जिसमें बेढ़ंगे कपड़े पहने जाते हैं
और बड़ों को अपमान के घूंट पिलाए जाते हैं।
कलियुग ही तो है यह जिसमें ऑनलाइन रिश्ते निभाए जाते हैं।
कलियुग ही तो है यह जिसमें मतलब से रिश्ते बनाए जाते हैं।
कलियुग ही तो है यह जिसमें झूठे इल्ज़ाम लगाए जाते हैं,
आजकल बेटियां नहीं बेटे और उनके मां-बाप सताए जाते हैं।
कलियुग ही तो है यह लड़की लड़कों पर झूठे इल्ज़ाम लगाती है और
लड़का और उसके मां बाप जेल की सलाखों के पीछे पाए जाते हैं।
कलियुगी औलाद
मेरी अंगुली पकड़कर चलने वाले,
आज मुझे सही रास्ता बताते हैं।
मुझे क्या करना है और कैसे करना है?
इसका वो मुझे सलीका सिखाते हैं।
कहाँ जाना है क्या पहनना है,
ये आकर मुझको बताते हैं।
कुछ गलती कर दूँ तो सरे आम,
मुझे आँखें दिखाते हैं।
मेरी कमाई पर मेरा हक नहीं,
अब वो मौज उड़ाते हैं।
दो निवाले हमें खिलाकर,
हम पर अहसान जताते हैं।
अरे श्राद्ध में खीर पूड़ी जिमाने वाले,
जीते -जी मुझे खून के आँसू रुलाते हैं।

प्रस्तुति


