कविता
तारा शर्मा

कविता

अमीर बहुएँ

कुछ बहुएँ अपने पीहर से,

अपने साथ लाये दहेज़ का रौब दिखाती हैं।

अपने लाये सामान पर सिर्फ,

उसका ही हक बताती हैं।

गरीब पति और सास-ससुर को

बार- बार, हर बार वो नीचा दिखलाती हैं।

बैठने भी नहीं देतीं देवर-नन्द को,

अपने महंगे सोफे पर!

ख़ुद के पीहर की हर समय ही धोंस दिखाती हैं।

ख़ुद के माँ-बाप उनको बड़े अजीज़ होते हैं,

पर सास-ससुर को हर बात पर नीचा दिखलाती हैं।

जब ख़ुद के माँ बाप और उनकी

दौलत ही चाहिए थी उनको,

तो क्यों गरीब घर के बेटे को

अपना पति बनाती हैं।

सूचना स्रोत

माया शर्मा जी