कविता

कविता

चौपाई छंद

।।घर परिवार।।

घर परिवार ज्ञान सिखलाता
झोली भर भर खुशियां लाता।
साथ सभी को रखता अपने
दिखलाता वह सच के सपने।

मात-पिता अरु दादा-दादी
करवाते हैं सबकी शादी।
बच्चों की गूंजे किलकारी
सजती है फिर ये फुलवारी।

नई-नवेली दुल्हन आती
सजा साथ ही खुशियाँ लाती।
घर को मिलता नया जवाई
देख जिसे बेटी हर्षाई।

नये-नये बनते हैं रिश्ते
चलता जीवन हँसते हँसते।
संकट घर पर जब हैं आते
एक सभी अपने हो जाते।

रचनाकार

श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’

मालपुरा

पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति

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