धार्मिक गतिविधि

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दशलक्षण महापर्व

श्री पद्म प्रभु जिनालय, टोडारायसिंह में चल रहे दशलक्षण महापर्व के पाँचवें दिन का आयोजन परम श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ। यह दिन उत्तम सत्य धर्म को समर्पित था।

प्रातः काल भगवान पद्मप्रभु का नित्य नियम अभिषेक एवं शांतिधारा सम्पन्न हुई। प्रथम अभिषेक का सौभाग्य श्री दिनेश कुमार एवं श्री मनीष कुमार जैन बाकलीवाल को प्राप्त हुआ। इसके पश्चात् अनेक श्रद्धालुओं ने भगवान का अभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। इस अवसर पर मोहनलाल कनोई, पदमचंद कनोई, धर्मचंद कनोई, रवि एडवोकेट, नवीन छाबड़ा सहित अनेक भक्तगण ने गहन श्रद्धा से पूजा-अर्चना की।

आर्यिका श्री विष्णुप्रभा माताजी ने अपने मंगल प्रवचन में सत्य धर्म की महत्ता स्पष्ट करते हुए कहा –
“सत्य केवल वाणी का आभूषण नहीं है, बल्कि जीवन का आधार है। एक असत्य वचन जीवन को अंधकार की ओर धकेल देता है, जबकि एक सत्य वचन व्यक्ति के जीवन को प्रकाशित कर देता है। अतः साधक को सदैव सत्यप्रिय होना चाहिए। सत्य की साधना केवल वचन में ही नहीं, बल्कि भोजन की शुद्धि, विचारों की शुद्धि और व्यवहार की शुद्धि में भी प्रतिबिंबित होनी चाहिए। यही उत्तम सत्य धर्म की सार्थक साधना है।”

माताजी ने यह भी कहा कि

“सत्य की साधना से आत्मा हल्की और निर्मल बनती है। असत्य का बोझ आत्मा को नीचे खींचता है, जबकि सत्य आत्मा को ऊँचाइयों पर ले जाता है। अतः हमें अपने जीवन में ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो कल्याणकारी हो, आचरण ऐसा करना चाहिए जो किसी को दुख न दे, और मन ऐसा रखना चाहिए जिसमें सदैव पवित्रता का संचार हो।”

इसी क्रम में पद्म प्रभु चेत्यालय में दशलक्षण विधान भी श्रद्धा और हर्षोल्लास से चल रहा है। दिनेश बाकलीवाल और संजय देवी ने अर्घ्य अर्पित कर धर्मलाभ लिया, वहीं अन्य भक्तों ने भी भक्ति भावना से विधान में सहभागिता की।

सायंकालीन सत्र में भगवान विष्णु प्रमोशताजी के जीवन पर आधारित एक भावनात्मक नाटक का मंचन हुआ। इस नाट्य प्रस्तुति ने उपस्थित जनसमूह को यह संदेश दिया कि सत्य, धर्म और संयम ही वास्तविक जीवन की दिशा और दशा बदलने की शक्ति रखते हैं।

दशलक्षण पर्व का प्रत्येक दिन आत्मा को शुद्ध करने का एक साधन है, और उत्तम सत्य धर्म का यह दिवस सभी श्रद्धालुओं के लिए जीवन में सत्यनिष्ठा का दीप प्रज्वलित करने वाला सिद्ध हुआ।

सूचना स्रोत

श्री शिवराज जी कुर्मी

पाठ्य उन्नयन और विस्तार

प्रस्तुति