‘सब अपनी अपनी गाते’ तथा ‘आओ मोहन प्यारे’

‘सब अपनी अपनी गाते’ तथा ‘आओ मोहन प्यारे’

सब अपनी अपनी गाते हैं

अपना ही दर्द सुनाते हैं।

दूजों की पीड़ा क्या जानें

अपनी पीड़ा ही पहचानें।

सबकी अपनी राम कहानी

जो है सबकी जानी मानी।

अपना लिखा सभी पाते हैं

सब अपनी अपनी गाते हैं।

 

सुख दु:ख में सम रहते हैं जो

सभी गमों को सहते हैं जो।

मानव वो ही कहलाते हैं

सबका दिल जो बहलाते हैं।

जो रखते रिश्ते नाते हैं

सब अपनी अपनी गाते हैं।

 

ये दुनिया जो बहुत बड़ी है

चौराहे पर आज खड़ी है।

पता नहीं है किधर कहां जाना

इस दुनिया में किसको पाना।

दु:ख के बादल जब छाते हैं

सब अपनी अपनी गाते हैं।

 

दु:ख में साथ नहीं देते हैं

सुख में मजा खूब लेते हैं।

सब ही अपना राग अलापें

इस भू को कदमों से नापें।

अपने ही बस मन भाते हैं

सब अपनी अपनी गाते हैं।

 

श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’

खेड़ा मलूकानगर

टोंक (राजस्थान)

 

आओ मेरे मोहन प्यारे ,

अब मत यूं देर लगाओ।

लगा दिया है आसन तेरा,

आकर तुम इसे सजाओ।।

मन मेरा विचलित होता है,

जब तुझसे दूर रहूं मैं

तुम बिन मेरा कौन यहां है

जिससे कोई बात कहूं मैं।

नाम सदा जपता हूं तेरा,

डर मेरा दूर भगाओ

आओ मेरे मोहन प्यारे,

अब मत यूं देर लगाओ।

 

सारे तुझको ढूंढ रहे हैं,

मंदिर मंदिर गली गली

कौन जगह पर बैठा है तू ,

बात बताओ सही भली।

सोयी है ये जनता सारी,

आकर तुम इन्हें जगाओ

आओ मेरे मोहन प्यारे,

अब मत यूं देर लगाओ।

 

कण कण में है वास आपका,

कहते हैं ये संत सभी

सच्चे मन से आन पुकारे ,

मिलो क्षण में तुरंत अभी।

प्रकाश करो सबके हृदय मे,

अब मुरली रोज बजाओ

आओ मेरे मोहन प्यारे,

अब मत यूं देर लगाओ।

 

मोर मुकुट है तेरे सिर पर,

गले वैजन्ती माला

सुंदर सा मुखड़ा है तेरा,

दुःख सबका हरने वाला।

साथ रहो तुम हरदम मेरे,

मुझको यूं छोड़ न जाओ

आओ मेरे मोहन प्यारे,

अब मत यूं देर लगाओ।

 

श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’

खेड़ा मलूका नगर

टोंक (राजस्थान)