सोचें अवश्य
Man thinks, vector. Hand drawn sketch. A man props his chin with his hand and thinks, dreams.

सोचें अवश्य

बीते दिन इतिहास हो गये

इनमें से कुछ खास हो गये

मोबाइल के चक्कर में पड़कर

हम बस जिंदा लाश हो गये।

अपनों से हम दूर हो गये

कुछ ज्यादा क्रूर हो गये

धन दौलत इस जग में पाकर

आप नशे में चूर हो गये।

करें बात बचपन की ताजा

कच्चे घर फिर भी थे राजा

अब पक्के मकान बने हुए

नहीं प्यार का होता साजा।

श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’

खेड़ा मलूका नगर