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वीडियो सारांश

बैंकाक में विश्व पर्यावरण सम्मेलन में मालदीव के मंत्री के साथ बातचीत

परिचय

वीडियो की शुरुआत में बैंकाक में आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन का परिचय दिया गया। इस सम्मेलन में मालदीव के मछली पालन और महासागरीय संसाधन मंत्री, डॉ. आमज़द अहमद, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। वार्ताकार डॉ रीना वर्मा ने उनसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और मालदीव की स्थिति पर चर्चा की।

जलवायु परिवर्तन और मालदीव की स्थिति

डॉ. आमसद अहमद ने स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन मालदीव के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा है। पिछले 20-30 वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग के कारण मालदीव के मछली पालन क्षेत्र को गंभीर नुकसान हो रहा है। मुख्य बिंदु निम्न हैं:

– मछली स्टॉक की कमी: समुद्र के तापमान में वृद्धि के कारण मछलियाँ कम संख्या में मिलने लगी हैं।

– कोरल ब्लिचिंग: समुद्री प्रवाल भित्तियाँ जीवाणु और रंगहीन हो रही हैं, जिससे समुद्री जैव विविधता खतरे में है।

– मछुआरों के लिए असुविधा: खराब मौसम की वजह से मछुआरे समुद्र में नहीं जा पाते, जिससे मछली पकड़ने की मात्रा कम हो जाती है।

– एल नीनो प्रभाव: पिछले वर्ष समुद्र की सतह का तापमान बढ़ा, जिससे सतह पर आने वाली टूना मछलियों की संख्या आधी रह गई, जो सीधे आर्थिक नुकसान का कारण बना।

मालदीव की अर्थव्यवस्था और स्थानीय लोगों की आजीविका पर इस प्रकार के प्रभाव गहरे हैं।

पर्यटन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

मालदीव विश्व के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, खासकर स्कूबा डाइविंग और जलक्रीड़ा के लिए। जलवायु परिवर्तन के कारण:

– समुद्र स्तर में वृद्धि और उच्च ज्वार: इससे द्वीपों का कटाव हो रहा है और द्वीपों की हरियाली कम हो रही है।

– कोरल रीफ का मरना: प्रवाल भित्तियाँ मरने से मछलियों की संख्या घटती है, जो पर्यटन आकर्षण को प्रभावित करता है।

– बारिश के दिनों में वृद्धि: पर्यटक जो धूप का आनंद लेने आते हैं, उन्हें निराशा होती है क्योंकि लगातार बारिश होती है।

इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन सीधे मालदीव के पर्यटन उद्योग को भी प्रभावित कर रहा है।

मालदीव सरकार द्वारा उठाए गए कदम

मालदीव सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई पहल शुरू की हैं:

– अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाना: 1970 के दशक से मालदीव ने संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन के खतरे को उजागर किया है।

– प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: प्रवाल भित्तियों का संरक्षण, खतरे में पड़े जीवों की सुरक्षा, और संरक्षित द्वीपों की स्थापना की जा रही है ताकि जैव विविधता बनी रहे।

– स्थानीय स्तर पर संरक्षण प्रयास: मछली के संसाधनों और समुद्री जीवन के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

सरकार की यह रणनीति वैश्विक सहयोग के साथ-साथ घरेलू संरक्षण पर आधारित है।

भारतीय व्यवसायों के लिए अवसर

मंत्री ने भारतीय व्यवसायों के लिए मालदीव में कई निवेश के अवसरों का उल्लेख किया, विशेषकर मछली पालन और पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में:

– मछली पालन क्षेत्र का विस्तार: मालदीव में टूना मछली पालन मुख्य उद्योग है, लेकिन इसे विविधीकृत करने की योजना है।

– एक्वाकल्चर में अवसर: मालदीव की साफ़ और स्वच्छ जल व्यवस्था के कारण भारतीय कंपनियों के लिए एक्वाकल्चर में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।

– मछली पालन आधारित पर्यटन: मछली पकड़ने से जुड़े पर्यटन (जैसे रीफ फिशिंग, डीप सी फिशिंग) को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके लिए मारिना और अन्य सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।

– स्पोर्ट्स फिशिंग और फिशिंग टूरिज्म: खेल-कूद के रूप में मछली पकड़ने के पर्यटन में भी निवेश के अवसर उपलब्ध हैं।

– भारतीय निवेशकों की भागीदारी: पहले से ही भारतीय निवेशक मालदीव के पर्यटन क्षेत्र में सक्रिय हैं, अब मछली पालन क्षेत्र में भी अवसर बढ़ रहे हैं।

यह क्षेत्र भारतीय उद्यमियों के लिए नए आर्थिक अवसरों का द्वार खोलता है।

शैक्षिक और छात्र विनिमय अवसर

मंत्री ने बताया कि मालदीव में शिक्षा के क्षेत्र में भी भारतीय छात्रों के लिए कई अवसर हैं:

– महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय: मालदीव में दो प्रमुख विश्वविद्यालय हैं – मालदीव नेशनल यूनिवर्सिटी और इस्लामिक यूनिवर्सिटी, साथ ही ESDA वीडिया कॉलेज।

– मछली पालन और समुद्री विज्ञान: विशेष रूप से मछली पालन और महासागर विज्ञान के क्षेत्र में पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों के लिए अवसर हैं।

– पर्यटन और आतिथ्य प्रबंधन: टेलर यूनिवर्सिटी जैसे विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग से पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी में डिग्रियाँ दी जाती हैं।

– मालदीव की नजदीकी: भारत के करीब होने के कारण, छात्रों के लिए मालदीव में पढ़ाई करना सुविधाजनक और सुलभ है।

– सांस्कृतिक और भाषाई समानताएँ: हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति के प्रति मालदीवियों की रुचि, जिससे भारतीय छात्रों के लिए वहां समायोजन आसान होता है।

इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण प्रबंधन और शोध के लिए भी मालदीव में भारतीय छात्रों और वैज्ञानिकों के लिए बड़ी संभावनाएँ हैं।

भारत-मालदीव संबंध

मंत्री ने भारत और मालदीव के बीच पुराने और मजबूत संबंधों पर प्रकाश डाला:

– सांस्कृतिक समानताएँ: दोनों देशों की भाषाएँ, सांस्कृतिक रुचियाँ और जीवनशैली में समानताएँ हैं।

– शैक्षिक और चिकित्सकीय संबंध: मालदीव के छात्र भारत में पढ़ाई करते हैं और मालदीव के लोग भारत में चिकित्सा के लिए आते हैं।

– व्यापारिक सहयोग: भारत मालदीव में निवेश करता है और दोनों देशों के बीच गहरा भाईचारा है।

यह द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के लिए आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक विकास के लिए आधार हैं।

निष्कर्ष

इस वार्ता से यह स्पष्ट हुआ कि मालदीव जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसके प्रभाव मछली पालन, पर्यटन और आर्थिक जीवन पर गहरे हैं। सरकार ने संरक्षण और जागरूकता के लिए कई कदम उठाए हैं, जबकि भारतीय व्यवसायों और छात्रों के लिए मालदीव में निवेश और अध्ययन के बहुमुखी अवसर उपलब्ध हैं। दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी इन क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ावा दे सकती है।

सूचना स्रोत

श्रीमती रीना वर्मा

पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति