युद्धमय संसार

युद्धमय संसार

युद्धमय संसार

मौन हो गई वाणी जग में,

बंदूकें अब बोल रहीं।

ज़हर मिले सब लव्ज़ हो गए ,

शमशीरें दर डोल रहीं।

खत्म हो गई मानवता पर ,

लहू का कारोबार बढ़ा।

भूल गई ईश्वर को दुनिया ,

नोटों से जग तोल रही।

रचनाकार

…dAyA shArmA (vAishnAv)

प्रस्तुति