श्योराज जी के विविधतापूर्ण भाव को

श्योराज जी के विविधतापूर्ण भाव को

भूमिका

इस प्रस्तुति में कवि श्योराज जी के भाव विस्तार को उपयुक्त रूप में समझा जा सकता है।

भाववाभिव्यक्ति

अगर मेरा प्यार तुमको यूं जताना नहीं था

जगत भर को बात तुमको यूं बताना नहीं था

खूब मौके भी मिलेंगे जमाने में प्यार करने के

मगर हमको यूं तुम्हें यारा सताना नहीं था।

मुक्तक

हमें बस आतंकियों का हमारे देश से सफाया चाहिए।

सभी के पास हो धन पर वो परिश्रम से ही कमाया चाहिए।

फांसी हो उस हर गद्दार को जो देश से ही गद्दारी करते हैं,

यह भारत देश हमको फूलों सा सजा सजाया चाहिए।

चौपाई छंद

।।राधा।।

बसे प्रेम में राधा प्यारी

पुलकित नैना शोभा न्यारी।

मीठी वाणी जब ये बोले

अधरों से जग में रस घोले।

श्याम दिवानी राधा रानी

रुत बदलो अब करो सुहानी।

मन मंदिर में आ जाओ तुम

पावन इसको कर जाओ तुम।

 

राधे नाम रटें मन मेरा

आकर इसमें डालों डेरा।

है जीवन में घोर अंधेरा

बना रखो मुझको तुम चेरा।

 

कहो श्याम से मेरा दुखड़ा

जिससे मुरझाया है मुखड़ा।

सुन पुकार वृषभानु कुमारी

बिगड़ी अब बना दे हमारी।

रचनाकार

श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’

मालपुरा, टोंक

राजस्थान