चौपाई छंद
।।घर परिवार।।
घर परिवार ज्ञान सिखलाता
झोली भर भर खुशियां लाता।
साथ सभी को रखता अपने
दिखलाता वह सच के सपने।
मात-पिता अरु दादा-दादी
करवाते हैं सबकी शादी।
बच्चों की गूंजे किलकारी
सजती है फिर ये फुलवारी।
नई-नवेली दुल्हन आती
सजा साथ ही खुशियाँ लाती।
घर को मिलता नया जवाई
देख जिसे बेटी हर्षाई।
नये-नये बनते हैं रिश्ते
चलता जीवन हँसते हँसते।
संकट घर पर जब हैं आते
एक सभी अपने हो जाते।
रचनाकार
श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’
मालपुरा
पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति


