अपनी अपनी राह – मुकेश कुमावत एवं  बाबूलाल नायक

अपनी अपनी राह – मुकेश कुमावत एवं बाबूलाल नायक

अपनी-अपनी राह (31-05-2025) विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर जर्दा गुटखा पान मसाला खाने से, तेरे मुॅंह की शान चली जाती है, बीड़ी ,सिगरेट,तम्बाकू पीने से, खुद की मर्यादा भी छली…
अंधियारा

अंधियारा

सार छंद ।। अंधियारा।। ॲंधियारे में रहकर जाना, क्या होता उजियारा, इन दोनों में फर्क यहाँ अब, जान गया जग सारा।   काला अक्षर भैंस बराबर, कहती दुनिया सारी, पर…
प्यार और धन दौलत

प्यार और धन दौलत

सार छंद ।। प्यार।। अपने ही जन हैं ये सारे, नफ़रत क्यों फिर करना। करों बात मन की तुम सारी, नहीं किसी से डरना। प्यार दिलों में छाता है जब,…
कविता

कविता

झूठी भाषा आज उधारी के भावों से रिश्ते दुनिया तौल रही। मोबाइल की झूठी भाषा सिर पर चढ़कर बोल रही। अंतर्मन के भाव लुप्त हैं स्टेट्स की महफ़िल में ,…
बड़मावस

बड़मावस

दोहे बड़मावस वृक्ष तले वट के चली, कर सोलह शृंगार।                        वड़मावस की शुभ घड़ी,जीवन का उपहार ।। धागों में…
प्रभाव

प्रभाव

निजता का ले नाम जगत में, नंगापन हृदयेश हुआ।। सदा सभ्यता से आवृत्त जो, नंगा सब परिवेश हुआ।। नंगों को नंगा मत बोलो, नंगे नायक बने हुए। बॉलीवुड के नंगेपन…
प्रतिदिन कविता?

प्रतिदिन कविता?

प्रत्येक दिन कविता.......? कविता केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से उपजा भावप्रवाह होती है। कवि जब कविता रचता है, तो वह अपनी अनुभूतियों, संवेदनाओं और विचारों…
मुक्तक – सिन्दूर

मुक्तक – सिन्दूर

मुक्तक (सिन्दूर)   है सिन्दूरी मान अपना, है सिन्दूरी शान अपनी। हर सिन्दूरी माँग में ही, बस रही जान अपनी। इस सिन्दूरी लाज हेतु युद्ध कितने ही लड़े हैं, सिन्दूर…
मनहरण घनाक्षरी (तीन)

मनहरण घनाक्षरी (तीन)

मनहरण घनाक्षरी एक   मौसम है यह गर्मी का, रवि की हठधर्मी का, तप रही है धरती, आया जेठ मास है।   खेत भी पड़े हैं खाली, सूखी तरुवर डाली,…
🇮🇳💥दोहा चाय💥🇮🇳

🇮🇳💥दोहा चाय💥🇮🇳

🇮🇳💥दोहा चाय💥🇮🇳 चाय पिला बिगड़ी बने, सहज होय सब काम। उलझे सारे राग जो, सुलझे ना बिन दाम।।   चाय के कई रूप हैं, भिन्न-भिन्न हैं नाम। भिन्न-भिन्न होटेल में,…