बड़मावस

बड़मावस

दोहे बड़मावस वृक्ष तले वट के चली, कर सोलह शृंगार।                        वड़मावस की शुभ घड़ी,जीवन का उपहार ।। धागों में…
प्रभाव

प्रभाव

निजता का ले नाम जगत में, नंगापन हृदयेश हुआ।। सदा सभ्यता से आवृत्त जो, नंगा सब परिवेश हुआ।। नंगों को नंगा मत बोलो, नंगे नायक बने हुए। बॉलीवुड के नंगेपन…
प्रतिदिन कविता?

प्रतिदिन कविता?

प्रत्येक दिन कविता.......? कविता केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से उपजा भावप्रवाह होती है। कवि जब कविता रचता है, तो वह अपनी अनुभूतियों, संवेदनाओं और विचारों…
मुक्तक – सिन्दूर

मुक्तक – सिन्दूर

मुक्तक (सिन्दूर)   है सिन्दूरी मान अपना, है सिन्दूरी शान अपनी। हर सिन्दूरी माँग में ही, बस रही जान अपनी। इस सिन्दूरी लाज हेतु युद्ध कितने ही लड़े हैं, सिन्दूर…
मनहरण घनाक्षरी (तीन)

मनहरण घनाक्षरी (तीन)

मनहरण घनाक्षरी एक   मौसम है यह गर्मी का, रवि की हठधर्मी का, तप रही है धरती, आया जेठ मास है।   खेत भी पड़े हैं खाली, सूखी तरुवर डाली,…
🇮🇳💥दोहा चाय💥🇮🇳

🇮🇳💥दोहा चाय💥🇮🇳

🇮🇳💥दोहा चाय💥🇮🇳 चाय पिला बिगड़ी बने, सहज होय सब काम। उलझे सारे राग जो, सुलझे ना बिन दाम।।   चाय के कई रूप हैं, भिन्न-भिन्न हैं नाम। भिन्न-भिन्न होटेल में,…

कुण्डलिया छंद

कुण्डलिया छंद आसमान में छा रही, लालीमा चहुं ओर हुई अभी यह सांझ है, या है ये फिर भोर। या है फिर ये भोर, अब खिली कली कली है सूरज…
कुंडलिया छंद

कुंडलिया छंद

कुण्डलिया छंद आसमान में छा रही,लालीमा चहुं ओर हुई अभी यह सांझ है,या है ये फिर भोर। या है फिर ये भोर,अब खिली कली कली है सूरज है चित्रकार, रंगता…
जयंती पर विशेष 🙏

जयंती पर विशेष 🙏

जयंती पर विशेष 🙏 शब्दबाण से सिंहनाद कर , गौरी को ललकार उठे । गज़नी की धरती दहली थी , तलवारों की धार उठे ।। चंद छंद की गाथा कहती…
मैं फौजी हूं

मैं फौजी हूं

"मैं फौजी हूँ!" मैं फौजी हूॅं,मन मोजी हूॅं, दुश्मन के लिए मैं खोजी हूॅं। मैं सीमा पर रहता हूॅं,पर रुखी-सुखी खाता हूॅं, मैं बहुत दिनों के बाद,अपने घर को आता…