निजता का ले नाम जगत में, नंगापन हृदयेश हुआ।। सदा सभ्यता से आवृत्त जो, नंगा सब परिवेश हुआ।। नंगों को नंगा मत बोलो, नंगे नायक बने हुए। बॉलीवुड के नंगेपन…
प्रत्येक दिन कविता.......? कविता केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से उपजा भावप्रवाह होती है। कवि जब कविता रचता है, तो वह अपनी अनुभूतियों, संवेदनाओं और विचारों…
मुक्तक (सिन्दूर) है सिन्दूरी मान अपना, है सिन्दूरी शान अपनी। हर सिन्दूरी माँग में ही, बस रही जान अपनी। इस सिन्दूरी लाज हेतु युद्ध कितने ही लड़े हैं, सिन्दूर…
🇮🇳💥दोहा चाय💥🇮🇳 चाय पिला बिगड़ी बने, सहज होय सब काम। उलझे सारे राग जो, सुलझे ना बिन दाम।। चाय के कई रूप हैं, भिन्न-भिन्न हैं नाम। भिन्न-भिन्न होटेल में,…
"मैं फौजी हूँ!" मैं फौजी हूॅं,मन मोजी हूॅं, दुश्मन के लिए मैं खोजी हूॅं। मैं सीमा पर रहता हूॅं,पर रुखी-सुखी खाता हूॅं, मैं बहुत दिनों के बाद,अपने घर को आता…