Posted inEducational Poem एकता को होली के रंग बताएं रे! दुनिया में कैसे एकता हो, होली के रँग बतायें रे। अलग अलग रँग मिलकर अद्भुत छटा दिखायें रे।। दुनिया में कैसे एकता हो, होली के रँग बतायें रे।। अपनी बुरी… Posted by UljhanSuljhan March 14, 2025
Posted inInspiration Poem होली पर विशेष 'निराली होली' रास रचाऊं तुम्हरे संग जब रंग जमेगा होली में, तन मन जायेगा रंग फिर धूम मचेगी होली में। सब बैर भाव को भूल, हृदय के तार मिला… Posted by UljhanSuljhan March 13, 2025
Posted inLearning Poem पोर्टल प्रशस्ति मुक्तक एक 'उलझन सुलझन' पोर्टल पर देख रहे हम जीवन के सब रंग, जिनसे हम जीवन भर होली खेले अपने सब रिश्तों के संग। 'उलझन सुलझन' की कला गुणता बनाती… Posted by UljhanSuljhan March 13, 2025
Posted inInspiration Poem नई कविता श्री केदार शर्मा की कुंडलियां छंद में हाइटेक है होली ढोल मजीरे खो गए, फक़त रह गया फाग। कहाँ गई अब टोलियाँ, समय रहा है भाग। समय रहा है भाग, हाईटेक है होली। नेटवर्क… Posted by UljhanSuljhan March 12, 2025
Posted inInspiration Poem महिला दिवस पर विशेष त्याग प्रतिरूप नारी ममता स्वरूप नारी भाव बहुरूप नारी नारी ही संसार है । गीत में है राग नारी फूल में पराग नारी स्नेह अनुराग नारी नारी ही शृंगार है।… Posted by UljhanSuljhan March 8, 2025
Posted inInspiration Poem मुक्तक – श्योराज जी मुक्तक एक मुझे सहयोग जो तेरा मिला उपकार तेरा है बहुत बढ़िया लगा है ये मुझे व्यवहार तेरा है। नज़र भर देखकर तुझको वहीं पहचान कर ली थी बना मुझको… Posted by UljhanSuljhan March 8, 2025
Posted inInspiration Poem पन्ना धाय वो महिला बड़ी बलिदानी थी बचपन में सुनी कहानी थी। ममता से पहले था, 'राष्ट्र प्रेम' माँ पन्ना धाय की कहानी थी। न सीस झुकाना सीखा था, न शिकवे की… Posted by UljhanSuljhan March 8, 2025
Posted inInspiration Poem सलाम सलाम उन मांओं को जो हमारे हक के लिए लड़ीं, अपनी आँखों के रक्त को स्याही बनाया छापा अपनी देह के जख्मों को आईने में, बांध मुट्ठी नसीहत दी जुल्म… Posted by UljhanSuljhan March 8, 2025
Posted inInspiration Poem नारी की महिमा गीत नारी तू सृष्टि की देवी, महिमा अपरंपार है। तुझसे बढ़कर इस दुनिया में, दूजा नहीं अवतार है।।१।। गौतम, नानक, महावीर को तेरी कोख ने जाया है। तू ईश्वर का… Posted by UljhanSuljhan March 7, 2025
Posted inInspiration Poem एक दिन जली मोमबत्ती एक दिन जली मोमबत्ती, उसकी रोशनी से जगमगा उठा घर का कोना-कोना। अपनी ही बाती की आग में पिघलने लगी मोमबत्ती और पिघलती चली गई, बस पिघलती चली गई। किसी… Posted by UljhanSuljhan March 7, 2025