मीठे बोल ही हैं अनमोल

मीठे बोल ही हैं अनमोल

भूमिका मीठे शब्दों का जादू बेमिसाल रवि प्रतिदिन की तरह अपने बगीचे में बैठा था, तभी उसकी छोटी बहन रिया पास आई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "भैया, आपकी मेहनत से…
सोचें अवश्य

सोचें अवश्य

बीते दिन इतिहास हो गये इनमें से कुछ खास हो गये मोबाइल के चक्कर में पड़कर हम बस जिंदा लाश हो गये। अपनों से हम दूर हो गये कुछ ज्यादा…
मकर संक्रांति पर पतंगबाजी

मकर संक्रांति पर पतंगबाजी

मैं पतंग हूं तुम हो डोरी करता तुमसे सीना जोरी। हवा उड़ाती है जब मुझको दिक्कत आती है क्या तुझको। लूट मचाते लोग यहां सब। तुमसे है ये जीवन मेरा…
💥दोहा💥 और 💥 चौपाइयाँ 💥

💥दोहा💥 और 💥 चौपाइयाँ 💥

💥दोहा💥 आसमान में डोलती, उड़ती वो परवान। लड़े पेच कट जाय तो, खो देती पहचान।। 💥 चौपाइयाँ 💥 पतंग उड़ी नवरंग आकाशा, खिंची डोर सतरंगी आशा। एक कटे दूजी कट…
🔆💢यातायात नियम हमारी रक्षा💢💥- बाबूलाल ‘नायक’

🔆💢यातायात नियम हमारी रक्षा💢💥- बाबूलाल ‘नायक’

🔆💢यातायात नियम हमारी रक्षा💢💥 ~~~~~~~~~~~~~●●~~~~~~~~~~~ 💢कविता💢 रक्षा और सुरक्षा सबकी, मानवता का धर्म निभाते हैं। चौराहों पर तैनात संतरी, वो नियम के पाठ पढ़ाते हैं। बिना हेलमेट चले गाडियाँ, चिन्ता…
‘सब अपनी अपनी गाते’ तथा ‘आओ मोहन प्यारे’

‘सब अपनी अपनी गाते’ तथा ‘आओ मोहन प्यारे’

सब अपनी अपनी गाते हैं अपना ही दर्द सुनाते हैं। दूजों की पीड़ा क्या जानें अपनी पीड़ा ही पहचानें। सबकी अपनी राम कहानी जो है सबकी जानी मानी। अपना लिखा…
समय तू धीरे धीरे चल

समय तू धीरे धीरे चल

नमन-मां शारदा काव्य मंच ।।समय।। अरे! समय तू धीरे धीरे चल साथ हमारे भी कुछ तो ढल । पल भर में सुख तुम लाते हो दूजे पल ग़म दे जाते…
दिल्ली तेरी क्या मजबूरी

दिल्ली तेरी क्या मजबूरी

भूमिका प्रस्तुत रचना एक कवि की भावनाओं का प्रतिबिंब है जिसमें वे किसी कार्य में पहल ना हो पाने पर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं विधायिका को प्राथमिकताओं का स्मरण…
कल से फिर घंटी बजेगी तथा आओ बच्चो! स्कूल चलें

कल से फिर घंटी बजेगी तथा आओ बच्चो! स्कूल चलें

भूमिका लंबे अवकाश के बाद जब स्कूल फिर से खुलते हैं, तो कवि के मन में भावनाओं की एक नई लहर उठती है। सन्नाटे से भरे स्कूल के गलियारे फिर…